Gunjan Kamal

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यादों के झरोखे से " पान खाना "

दोस्तों! आज यादों के झरोखे में कैद उस परंपरा के साथ आप लोगों से मिलने आई हूॅं जो दशहरे से जुड़ी हुई है। दशहरे से संबंधित जो बात  मैं बताने जा रही हूॅं , वह  बात मैं उस दशहरे से पहले नहीं जानती थी और यह बात  मुझे मेरी मकान मालकिन ने  बताई थी  । उन्होंने उस दिन मुझे बताया कि हमारे यहां आज के दिन  कुछ ऐसी परंपराएं भी निभाई जाती हैं जिनसे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है । आज के इस युग में सुख - समृद्धि और शांति किस इंसान को नहीं चाहिए ?  मैंने भी उनसे कहा था कि  बताइए! मैं भी वह करने के लिए तैयार हूॅं जिसके कारण हमारे जीवन में सुख समृद्धि और शांति बनी रहे।


दोस्तों! दीदी ने मुझे बताया कि हमारे यहां एक परंपरा है,  दशहरे के दिन पान खाना। मैंने उनसे कहा कि आप लोग तो लगभग हर दिन पान खाते हैं । मेरी बात सुन वह मुस्कुराने  लगी और कहने लगी कि यह रोज की बात नहीं दशहरे की बात है । हम रोज खाएं या ना खाएं लेकिन दशहरे के दिन पान जरूर  खाते हैं क्योंकि  आज के दिन पान खाने के धार्मिक महत्व के साथ-साथ वैज्ञानिक कारण भी हैं ।


दोस्तों ! वह दीदी यानी कि हमारी मकान मालकिन  यहाॅं  के केंद्रीय विद्यालय की विज्ञान की शिक्षिका भी हैं  । उन्होंने आगे कहा कि पान बुराई पर  अच्छाई का  प्रतीक माना गया है और इसे बुराई पर अच्छाई की जीत से जोड़कर देखा जाता है । उन्होंने आगे कहा कि अगर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो इस समय मौसम में बदलाव होता रहता हैं जिसके कारण संक्रामक बीमारियों का हमारे ऊपर खतरा बढ़ जाता है । पान संक्रामक बीमारियों से हमारी रक्षा  करता है  । बहुत लोगों का यह भी कहना हैं कि नवरात्रि में अधिकतर भक्तगण व्रत रखते है जैसा कि तुमने रखा था । नौ दिनों तक फलाहार करने से और अन्न ना खाने के बाद एकाएक जब नवमी या दशहरे के दिन व्रती यदि अन्न का भोजन करता है तो तो उसकी पाचन प्रक्रिया प्रभावित होने लगती हैं । ऐसे में  खाना खाकर यदि पान खा लिया जाए तो भोजन को पचने में आसानी होती हैं  यही सब  कारण है कि दशहरे पर रावण दहन के बाद पान का बीड़ा खाया जाता है ।


दोस्तों ! मैं भी नवरात्रि का व्रत रखती हूॅं तो दशहरे के दिन मेरे व्रत तोड़ने के बाद उन्होंने ही मुझे सादा पान जिसमें जर्दा नहीं होता वैसा पान लाकर खाने के लिए दिया था । मैंने भी अपने पाचन तंत्र को सही रखने के लिए उस दिन पान खा लिया था और इस तरह मैंने अपने और मकान मालकिन के परंपराओं का भी निर्वहन किया था। मैं चाहती तो यह कहकर कि मैं पान नहीं खाती, उन्हें मना कर सकती थी और यह भी कह सकती थी कि यह आपकी परंपरा होगी मेरी नहीं लेकिन मैंने ऐसा उन्हें नहीं कहा क्योंकि दीदी बड़े ही प्यार से अपनी परंपराओं से मुझे अवगत  करा रही  थी और मुझे करने के लिए भी कह रही थी वों भी वैज्ञानिक कारण बताकर,  ऐसे में  मैं उनके प्यार को कैसे  नहीं देखती ? कभी-कभी तो मैं यह  सोचती हूॅं कि उनका और मेरा पूर्व जन्म का कोई रिश्ता रहा  होगा तभी तो वह मुझे अपना समझती  है ।


दोस्तों ! कमाल की बात यह थी कि पान खाने के बाद मेरे पेट में कोई गड़बड़ी नहीं हुई । अधिकांश तौर पर जब मैं व्रत करती हूॅं  और अगले दिन खाना खाती  हूॅं  या तो मेरा पेट दुखने लगता है या मुझे उल्टी हो जाती है लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हुआ । माता की कृपा कहें ... या दीदी की परंपराओं की बात मानें या  पाचन संबंधी जो बातें दीदी ने कही थी  वह बात मानें ।  बात जो भी हो  लेकिन इसका फायदा मेरे शरीर को हुआ और यही बात मुझे अच्छी लगी थी। मैं यह नहीं कहती कि सदियों से चली आ रही परंपराएं  गलत है और  हमें इसका विरोध करना चाहिए। मैं तो बस इतना कहना चाहती हूॅं  कि जिस चीज से हमारा और लोगों का भला हो ।  वह  सदियों से चली आ रही है क्या अभी शुरू की गई हो ...  वही हमारे लिए सबसे बेहतर है  बाकी कुछ नहीं । उस दिन पान खाने से दीदी के परंपराओं का निर्वहन उनकी नजरों में हुआ  होगा लेकिन मेरी नजर में मैंने यह अपने पाचन क्रिया के लिए किया था जो सही भी हुआ जिसके कारण मुझे और  उपवास के दिन के बाद के दिनों  की तरह नहीं गुजारना पड़ा बल्कि वह दिन  मेरे लिए बहुत  अच्छा बीता था।


दोस्तों !  चलती हूॅं। अब मुझे भी जानें की इजाजत दो । फुर्सत मिलते ही  फिर से मिलने आऊंगी  तब तक के लिए 👇


🙏🏻🙏🏻🙏🏻 " खुश रहो  मस्त रहो  और सबसे महत्वपूर्ण बात हमेशा हॅंसती -  मुस्कुराती  रहो "  🙏🏻 🙏🏻🙏🏻


" गुॅंजन कमल " 💗💞💓


# या


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6 Comments

Rajeev kumar jha

07-Jan-2023 07:36 PM

शानदार

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Nice 👍🏼

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शानदार

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